कब से शुरू होगा रमजान मास, क्यों खास है ये महीना? जानें इससे जुड़ी खास बातें

कब से शुरू होगा रमजान मास, क्यों खास है ये महीना? जानें इससे जुड़ी खास बातें

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  • March 5, 2023
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कब से शुरू होगा रमजान मास, क्यों खास है ये महीना? जानें इससे जुड़ी खास बातें

उज्जैन. इस्लाम धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं, ईद-उल-फितर भी इनमें से एक है। ये पर्व रमजान महीने के समाप्त होने पर मनाया जाता है। रमजान (Ramadan 2023 Date) में महीने में मुस्लिम संप्रदाय के लोग रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं और अनेक कठिन नियमों का पालन भी करते हैं।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इसी महीने में अल्लाह से पैगंबर मोहम्मद साबह को कुरान की आयतें मिली थीं। इसलिए ये महीना मुस्लिम समाजजनों के लिए बहुत ही पवित्र माना जाता है। आगे जानिए इस बार कब से शुरू होगा रमजान मास.

इस दिन से शुरू हो सकता है रमजान (Ramzan Kab Hai 2023 Mai)

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार आठवें महीने शआबान के समाप्त होने पर जब चांद नजर आता है तो इसके अगले दिन रमजान मास की शुरूआत मानी जाती है। इस बार यदि शआबान महीना 29 दिनों का होगा तो पहला रमजान यानी रोजा 23 मार्च को रखा जाएगा, लेकिन यह तय 22 मार्च को ही होगा। अगर 22 मार्च को चांद नहीं दिखा तो, 30 दिनों के महीने देखते हुए रमजान मास 24 मार्च से शुरू हो जाएगा।

खुदा की रहमत बरसती है इस महीने में (importance of Ramadan)

रमजान के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग इस पूरे महीने सुबह से शाम तक उपवास करते हैं फिर इफ्तार के बाद खास तरह की नमाज अदा की जाती है। रमजान के दौरान रोजा रखने वाले सूरज उगने से पहले खाना खा लेते हैं, जिसे सेहरी कहते हैं और दिन भर भूखे-प्यासे रहकर खुदा की ईबादत करते हैं। शाम को सूर्य अस्त होने के बाद नमाज पढ़ी जाती है और इसके बाद कुछ खाया जाता है, इसे इफ्तारी कहते हैं।

रोजेदारों को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें (fasting rules of Roja)

रमजान के दौरान जो लोग रोजे रखते हैं, उन्हें अनेक कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है। इसके लिए कुछ बातें तय हैं जैसे रोजेदारों को क्या करना चाहिए किन बातों से बचना चाहिए। रोजे के दौरान सुबह सेहरी और इफ्तारी के बीच में कुछ भी खा-पी नहीं सकते, नहीं तो रोजा टूट जाता है। रोजे का अर्थ सिर्फ शारीरिक रूप से भूखा-प्यासा रहना नहीं बल्कि बुरी बातों के सोचने पर भी पाबंदी है।

आंख, कान और जीभ का रोजा

रोजे के दौरान कुछ भी बुरा नहीं देखना चाहिए और न ही बुरा सुनना चाहिए। इसके साथ ही बुरा बोलने पर पाबदी रहती है। इसे ही आंख, कान और जीभ का रोजा कहा जाता है। रोजा रखने वाले को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर न निगलें, नहीं तो रोजा टूट जाता है।

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