मध्यप्रदेश के इस शहर में स्थित है रहस्यमयी भीमकुंड, जिसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं

मध्यप्रदेश के इस शहर में स्थित है रहस्यमयी भीमकुंड, जिसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं

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  • April 26, 2023
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मध्यप्रदेश के इस शहर में स्थित है रहस्यमयी भीमकुंड, जिसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं

आज भी दुनिया में कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं, जिनका पता आज तक भी नहीं चल पाया है. उन रहस्यों का पता लगाने में वैज्ञानिक भी असफल रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमय कुंड के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस कुंड की गहराई का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं. यह कुंड कहीं और नहीं, बल्कि अपने ही देश में है. हम जिस रहस्यमय कुंड की बात कर रहे हैं, उसका नाम है भीम कुंड. कहते हैं कि इस कुंड की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है.

महाभारत से जुड़ा है इसका इतिहास

मध्य प्रदेश को भारत का दिल कहा जाता है। यहां घूमने-फिरने के लिए काफी खूबसूरत जगहें हैं। यहां एक रहस्यमयी कुंड भी मौजूद है, जो दुनियाभर में चर्चित है। यह कुंड मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर बाजना गांव में स्थित है. इस भीमकुंड से एक कथा भी जुड़ी हुई है, जो महाभारत काल की है। पौराणकि कथा के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पांच पांडव वन से जा रहे थे, उसी समय द्रौपदी को प्यास लगी। पांचों भाइयों ने आसपास पानी की तलाश की, लेकिन कहीं भी उन्हें पानी नहीं मिला। इसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाई नकुल को कहा कि वे पता लगा सकते हैं कि धरती में पानी कहां है? ऐसे में नकुल ने भाई की आज्ञा पर धरती से निकलने वाले पानी के स्त्रोत के बारे में पता किया। लेकिन समस्या ये थी कि पानी निकाला कैसे जाए।

तभी भीम ने अपनी गदा उठाई और नकुल के बताए गए स्थान पर प्रहार किया। उनकी गदा के प्रहार से धरती में बहुत गहरा छेद हो गया और पानी दिखाई देने लगा। लेकिन कथा के अनुसार, भूमि की सतह से जल स्रोत लगभग तीस फीट नीचे था । इस स्थिति में युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि अब तुम्हें अपनी कौशल से जल तक पहुंच मार्ग बनाना होगा। ऐसे में अर्जुन ने अपने बाणों से जल स्रोत तक सीढ़‍ियां बना दीं । धनुष की सीढ़‍ियों से द्रौपदी को जल स्रोत तक गईं।

इस कुंड का निर्माण भीम की गदा से हुआ था इसल‍िए इसे भीमकुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस कुंड का पानी बिल्कुल नीला और साफ है। ऐसा भी माना जाता है कि इस कुंड की गहराई में कुएं जैसे दो बड़े छिद्र हैं, एक में बहुत तेजी से पानी आता है और दूसरे से वापस चला जाता है।

प्राकृतिक आपदा आने से पहले ही मिल जाता है संकेत

देखने में तो यह कुंड बिल्कुल साधारण सा लगता है, लेकिन इसकी खासियत किसी को हैरान कर सकती है. दरअसल, कहा तो यह भी जाता है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपका, जैसे बाढ़, तूफान या सुनामी आदि आने वाली होती है तो कुंड का पानी अपने आप बढ़ने लगता है. कहा जाता है कि इस रहस्यमय कुंड की गहराई पता करने की कोशिश स्थानीय प्रशासन से लेकर विदेशी वैज्ञानिक और डिस्कवरी चैनल तक ने भी की, लेकिन किसी को आज तक इसकी वास्तविक गहराई का पता नहीं लग सका. कोशिश करने वालो को भी सबको निराशा ही हाथ लगी है.

इसका पानी है गंगा की तरह शुद्ध

कहा जाता है कि एक बार विदेशी वैज्ञानिकों ने कुंड की गहराई पता करने के लिए पानी के अंदर 200 मीटर तक कैमरा भेजा था, लेकिन तब भी इसकी गहराई नहीं पता चल सकी. बताया जाता है कि कुछ गहराई पर इस कुंड के पानी की तेज धाराएं बहती हैं. कहा जाता है कि इस कुंड का पानी गंगा की तरह बिल्कुल पवित्र है और यह कभी खराब भी नहीं होता है, जबकि आमतौर पर ठहरा हुआ पानी धीरे-धीरे खराब हो जाता है

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