रेलवे ट्रेक पर आखिर क्यों बिछाए जाते हैं नुकीले पत्थर? ये रही असली वजह

रेलवे ट्रेक पर आखिर क्यों बिछाए जाते हैं नुकीले पत्थर? ये रही असली वजह

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  • April 15, 2023
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रेलवे ट्रेक पर आखिर क्यों बिछाए जाते हैं नुकीले पत्थर? ये रही असली वजह

Railway Track: आपने ट्रेनों में कई बार सफर किया होगा. इस सफर के दौरान आपने देखा होगा कि रेलवे ट्रेक पर पत्थर बिछाए जाते हैं. आखिर इन पत्थरों का ट्रेन के परिसंचालन से क्या संबंध होता है. आखिर इन पत्थरों का काम किया है. अगर ये नहीं हुए तो ट्रेन चलाने में क्या परेशानी आएगी. ऐसे कुछ सवाल आपके मन भी आते होंगे. आपको सबसे पहले ये बता दें कि इन पत्थरों को सम्मिलित रूप से ट्रैक ब्लास्ट (Track Ballast) कहा जाता है. इनके ऊपर ही पटरियां और स्लीपर बिछाई जाती हैं.

रेलवे ट्रैक पर नुकीले पत्थर लगाने के 2 प्रमुख कारण होते हैं. पहला यह कि ये पटरियों को जकड़ कर रखते हैं और फैलने नहीं देते हैं. ट्रेन का वजन बहुत भारी होता है और फिर उसमें लोगों का वजन भी जुड़ता है. जब इतने वजन के साथ ट्रेन चलती है तो पटरियों में वाइब्रेशन यानी कंपन होता है तो जिसकी वजह से वह धीरे-धीरे फैलने लगती हैं. यहीं काम आते हैं ये नुकीले पत्थर, जो इन्हें इन्हें जकड़ कर रखते हैं और फैलने से रोकते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि गोल पत्थर क्यों नहीं लगाए जाते तो उसका कारण यह है कि वे खुद भी बहुत फिसलते हैं जिसकी वजह से पटरियों को स्थिरता प्रदान करना उनके लिए मुश्किल होता है.

जानें क्या है दूसरी वजह

नुकीले पत्थर पटरियों को फैलने से तो रोकते ही हैं, साथ ही ये किसी तरह की खरपतवार को ट्रेक पर उगने नहीं देते हैं. आपने अक्सर देखा होगा कि जिन पटरियों पर ये पत्थर कम संख्या में या बिलकुल नहीं होते हैं वहां पौधे उगने लगने लगते हैं. इससे ट्रेनों को चलाने में दिक्कत में होती है. ये बरसात के पानी को सतह पर जमने नहीं देते और सीधे जमीन में भेज देते हैं. बारिश के मौसम में ही कई बार ट्रैक के नीचे के मिट्टी धंसने या खिसकने लगती है तब ये ट्रैक बैलेस्ट मिट्टी को भी हिलने से रोकते हैं. एक अन्य कारण यह भी माना जाता है कि जब ट्रेन पटरियों पर गुजरती है तो आवाज बहुत होती है और ये पत्थर इस आवाज को कुछ हद सोख के शोर को कम करते हैं.

क्या होते हैं स्लीपर?

रेलवे ट्रैक पर इन छोटे-छोटे पत्थरों के अलावा कंक्रीट से बनी लंबी प्लेट्स भी लगाई जाती हैं जिनके ऊपर पटरियां बिछी होती हैं. इन्हें ही स्लीपर कहा जाता है. ट्रैक बैलेस्ट इन स्लीपर्स को भी स्थिरता प्रदान करते हैं. जब ट्रेन गुजरती है तो स्लीपर और बैलेस्ट का मिश्रण ही उसका भार वहन करते हैं और किसी दुर्घटना की आशंका को कम करते हैं.

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